एक महीने में 15% फीसदी तक बढ़े कॉटन के भाव, महंगे हो सकते हैं कपड़े

एक महीने में 15% फीसदी तक बढ़े कॉटन के भाव, महंगे हो सकते हैं कपड़े महज दो महीने में ही कॉटन के भाव दो हजार रुपये तक बढ़ गए और इस समय यह 19800 रुपये प्रति बेल (170 किग्रा) के भाव पर हैं. महज दो महीने में ही कॉटन के भाव दो हजार रुपये तक बढ़ गए और इस समय यह 19800 रुपये प्रति बेल (170 किग्रा) के भाव पर हैं. कॉटन के भाव में यह तेजी अभी रुकने वाली नहीं दिख रही है. कॉटन की कीमतों को लेकर न सिर्फ घरेलू बल्कि वैश्विक स्तर पर भी परिस्थितियां प्रतिकूल हैं. घरेलू स्तर पर बेहतर उत्पादन के बावजूद इसकी कीमतें तेजी से बढ़ी हैं, इसमें मौसम का भी योगदान रहा है. पिछले एक महीने में ही इसके भाव 15 फीसदी तक बढ़े हैं. वैश्विक स्तर पर चीन ने बढ़ाए भाव केडिया कमोडिटी के निदेशक अजय केडिया के मुताबिक अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार के कारण अमेरिका ने अपने एग्री कमोडिटी को चीन को खरीदने के लिए बाध्य किया था. ऐसा न करने की स्थिति में चीन के खिलाफ अमेरिका फिर से ट्रेड वार शुरू कर सकता है. इसे लेकर चीन कॉटन की भारी मात्रा में खरीदारी कर रहा है. इसके अलावा अमेरिका में तूफान के कारण कॉटन की फसल खराब हुई हैं जिससे इसके भाव बढ़े हैं. मानसून से उछला कॉटन भारत में बुवाई बेहतर होने के बावजूद इसकी कीमतें बढ़ी हैं. इसकी मुख्य वजह महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में भारी बारिश है. भारी बारिश के कारण कॉटन के आउटपुट पर भारी प्रभाव पड़ा है. एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट (एनर्जी एवं करेंसी) अनुज गुप्ता के मुताबिक सबसे अधिक कॉटन का उत्पादन गुजरात, महाराष्ट्र और तेलंगाना में होता है. इसमें से महाराष्ट्र और तेलंगाना में बारिश के असर से कॉटन के उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ा है. उत्पादन में आंशिक बढ़ोतरी वस्त्र मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली मिनी रत्न कंपनी भारत कपास निगम लिमिटेड की वेबसाइट पर दिए गए डेटा के मुताबिक 2018-19 में 126.58 लाख हेक्टेअर 330 बेल का उत्पादन हुआ था जबकि इस बार 2019-20 में 125.84 लाख हेक्टेअर में 360 बेल का उत्पादन हुआ है. उत्पादन का यह आंकड़ा कॉटन एडवाइजरी बोर्ड द्वारा दिया गया प्रोविजनल डेटा है. 2017- 18 में 125.86 लाख हेक्टेअर में 370 बेल का उत्पादन हुआ था. अन्य फसलों की महंगाई से पड़ा प्रभाव दलहन और तिलहन की महंगाई को देखते हुए किसानों को इनकी पैदावार अधिक मुनाफे वाली लगी. अनुज गुप्ता के मुताबिक महाराष्ट्र और गुजरात में किसान दाल की तरफ और मध्य प्रदेश के किसान तिलहन की तरफ आकर्षित हुए जिससे इस साल कॉटन का उत्पादन क्षेत्र लगभग स्थिर रहा. 2 महीने में 22500 तक जा सकते हैं भाव अनुज गुप्ता के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान मिल बंद चल रहे थे लेकिन अब वे भी खुले हैं और उनकी मांग बढ़ी है, इसलिए कॉटन के भाव में नरमी की उम्मीद नहीं की जा सकती है. कॉटन का इस्तेमाल कपड़े बनाने में होता है. अजय केडिया का मानना है कि जिस तरह से कॉटन के भाव में तेजी आ रही है, उससे लग रहा है कि इसके भाव अगले दो महीने में 22000-22500 प्रति बेल तक जा सकते हैं.

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